बैधनाथ स्वम्भू शिव नीम विष्णु स्वरूप

बैधनाथ स्वम्भू शिव नीम विष्णु स्वरूप 



रोगो का समाधानशुगर रोगब्लेड शुगर रोगत्वचा शुगर रोग 

आज
के युग में जनवरी माह से लेकर मार्च माह की
होली का दहन होते ही
रोग
महा
रोगो

का अंत हो जाता है। 

खांसी हृदय
विकार कफ एवं फेफड़ों की नली का और कंठ नली का कफ बबलगम से प्रतिबंध हो जाता है। नलीका मे कफ अवरोध के कारण खर-खरआहट एवं फेफड़ों में सिटी सी आवाज आने से रात भर नींद
नहीं आती। 

शारीरिक रोग गृहस्त के कारण सीने में पसलियों में दर्द होता है।  इस
कारण नर-नारी शिशु-बाल रूप भी खासी पीड़ित हो जाते हैं। 

सब लोग ईश्वर विधाता
पंचतत्व ऋतुए द्वारा रोग उत्पन्न के कारण परिवार भी दुखी हो जाते हैं।  इस कारण से
मनुष्य अधिकांश ईश्वर के प्रति आस्था एवं भक्तिवान ना होने के कारण
व्यक्ति धन तो बेशुमार कमाता है। 

शारीरिक सुख और स्वस्थ से वंछित रहता है, { नीम } को  महा रोगों का दुश्मन ( बैधनाथ ) शिवम्भू स्वयं है।

नीम विष्णु आरा है, यह सभी प्रकार के रोगों को और मास की
पेट की अंतर की गाठों काटता है। 

जैसे चाय एवं मिठाई गुड इत्यादि खाने से
खांसी रोग उत्पन्न होता है। इसी के अधिक सेवन से { शुगर रोग } भी होता
है।

किसी को { ब्लेड शुगर } होता है, इन सब  रोग निवारण मात्र एक वनस्पति नीम ही है। इस के लिए आप को नीम का काड़ा बनाना होंगा 

विधि इस प्रकार है। 

  • नीम की
    पत्ती को लाकर पहले धोकर साफ करें।
  • खराब कीड़े मकोड़े रूपी पत्तों को हटा
    दें।
  • पत्तों को एक भगोने में डाले उसमे तीन गिलास पानी डालकर उसको गैस या चूल्हे की आग पर पकाएं , जब तक आधा
    पानी ना बचे।
  • काड़े को उतारकर ठंडा होने दे। 
  • उसके बाद लाल कांच की शीशी में भरकर रख लें
  • दिन मे तीन वक्त पिए।  सुबह, दुपहर और शाम को  

ब्लेड शुगर वालों के लिए विधि 

  • नीम की पत्ती को लाकर पहले धोकर साफ करें।
  • खराब कीड़े मकोड़े रूपी पत्तों को हटा दें।
  • पत्तों को एक भगोने में डाले।
  • उसमे मेथीदाना मोटा मोटा कुटकर तीन ग्लास पानी डाले। 
  • उसमे थोड़ा काला नमक डाले। 
  • उसको जब तक पकाए तब तक आधा ना बचे। 
  • उसके बाद लाल काच की बोतल मे भरकर
    रख ले। और तीन वक्त पिए। ब्लेड शुगर संपूर्ण तरह से समाप्त हो जाता है।
  • 15 दिन से लेकर 30 दिन तक ब्लेड शुगर समाप्त हो जाता है

शुगर
के कारण-
 शारीरिक जख्म भी नहीं भरते है। इसी कारण से जख्म का उपचार होने के उपरांत रोग मुक्त नहीं हो पाते हैं। 

इसलिए हमारे संत ऋषि संत महात्मा वेद नीम, हकीम, इत्यादि नाथो द्वारा आयुर्वेद तंत्र, मंत्र, यंत्र, उत्पत्ति दाता है।  इनकी कृपा आशीष के अभाव के कारण दवा की लाभ प्राप्ति नहीं
होती है। इसीलिए हमारे जीवन में गुरु, नाथो, आशीर्वाद की प्राप्ति आवश्यक है। इसके
बगैर स्वास्थ्य प्राप्ति नहीं होती। 

इसीलिए देव आराधना भक्ति ही हमें सब रोगो से मुक्ति दाता है। हमारे बड़े बुजुर्ग के  आशीर्वाद बगैर जीवन में सफलता प्राप्ति नहीं होती है।

मंत्र
 ॐ हरिहर महादेव रोग शोक दुख दरिद्रता हरिहर नारायण
भगवती माता नमो नमः

कपूर प्रज्वलित कर मंत्र
का 
108 बार शुक्ल पक्ष से कृष्ण पक्ष
तक जाप

करें संपूर्ण रोगों का अंत
हो जाता है। 

 

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