सुगर रोग

             सुगर रोग               

नीम 

आज के
युग में अधिकांश परिवार के संपन्न खाने में चावल शक्कर,दही साथ में घी का इस्तेमाल
खाने में करते है| जिससे शरीर में मोटापा बडनें के साथ-साथ काम/कार्य से परेज एवं
आलसी बनता है, अधिकांश परिवार में दुपेर का भोजन में चावल घी,तुवर दाल, अंत में
दही चावल शक्कर का उपयोग से शरीर में मिठास और मोटापा में अत्यधिक शरीर में
ब्रद्दी बड़ती है | जिससे कारण शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है, रक्त में शुगर का लेबल
बड जाता है, जिन लोगो के शरीर से पसीना नहीं आता, उनके शरीर में पानी स्तम्भ हो
जाता है, जिसके कारण नमक कि मात्रा बड़ने से ब्लेट प्रेशर रक्त कि शक्ति अधिक या कम
होती है, जिससे मरीज को बैचेनी घबराहट कमजोरी सी मेहसूस होती है | स्वास लेने कि
क्रिया फेफड़ो पर असर होता है| स्वास लेने में अवरोध के कारण धमनियों में रक्त गति
में कमी आती है, फेफड़ो में सूजन के कारण काम करने में कमी आती है | इसके लिये
आयुर्वेद वनस्पति सम्पदा में,मोटापा/शुगर स्वास द्वरा खासी को समाप्त कर शरीर स्वास्थ
करता है | इस का उपयोग बताये गए निर्देश अनुसार वनस्पति तंत्र का उपयोग कर लाभ
प्राप्त करे |

1.      
सबसे पहले नीम कि पत्ती को लाकर धोकर साफ करे,उसको
तोड़कर लगभग 250 ग्राम पत्ती को भगोने में रखकर उसमे अदा लीटर पानी में पकाकर लगभग
13 मिनिट तक चाय कि तरह पकाकर उतार ले, उसको छान कर काच कि बोतल में भरकर रखे |

2.      
गुड्बेल की बेल को लाकर उसमे छोटे-छोटे दुकडे
करके उन्हें थोडा कुचलकर भगोने में इकठ्ठा करे, उसको भी चाय की तरह आधा लीटर पानी
में पकाकर बोतल में भर ले |

3.      
जंगली मैथा/दाना को 100 ग्राम लाकर उसको मोटा-मोटा
कूटकर भगोने में रखे, उसमे भी आधा लीटर पानी में पकाकर बोतल में भर कर रखे |

4.      
100 ग्राम काला नमक लाकर बारीक़ पीसकर रख ले |

क्रम एक से तीन तक एक-एक ढक्कन दवा सिरफ उसमे
स्वाद के अनुसार नमक एक चुटकी ले, जिन्हें नमक नागी लेना है वह हल्का सा कुन-कुना
गरम पानी करके पिये | 15 दिन तक उपयोग करे, जिन्हें ज्यादा है वह दिन में चार वक्त
ले, जिन्हें कम वह दो वक्त सुबह एवं रात्रि में ले |

लाभ – खासी समाप्त, चाय की आदद कम, रक्त गति,
ब्लेड प्रेशर नियंत्रण, रक्त शुद्धि, चर्मरोग से मुक्ति, मोटापा में कमी,

परेज – बेसन, मैदा, मॉस, चावल, घी, दही, मीठा,
मक्खन, आलू ना खाये |

यह दावा प्रक्टिकल विधि है, आयुर्वेद का सही
जानकार प्राकृतिक सम्पदा से लाभ लेता है | इसमे हमारे संत ऋषि मुनि महात्माओ का
वर्षो जंगल में रहकर तपो बल और जड़ी बूटी का प्रक्टिकल अध्यन प्रयोग कर सफल विधि जन
कल्याण के लिये प्रस्तुत की गई है | नि: संकोच प्राकृतिक पर विस्वास करने उपयोग
करे, शहर के लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते|

गाव, क़स्बा, दैहात, के लोग दावा का भरपूर लाभ
पाते है |

                                                                     प्रक्टिकल

बैध देवलाल पट्ठे/तंत्र,मन्र,तंत     ज्योतिष चार्य गुरु गोरख नौ नाथ

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