नीला/बैगनी/सफ़ेद अकुआ/रुई द्वारा – दमा, स्वास काफ खासी बुखार टायफाइट जैसे रोगों का भस्म और शहद से सम्पूर्ण समाधान

 नीला/बैगनी/सफ़ेद अकुआ/रुई द्वारा – दमा, स्वास काफ खासी बुखार टायफाइट जैसे रोगों का भस्म और शहद से सम्पूर्ण समाधान

अकुआ 

इस युग आयुर्वेदिक उपचार विधि शहर के वासी बहुत कम उपयोग करते हैं। क्योंकि शहर में रहने वाले परिवार के लिए शहर में डॉक्टर उपचार विधि हॉस्पिटल और मेडिकल दवा विक्रेताओं से दवाई आसानी से मिल जाती है। डॉक्टर द्वारा दवाई उपचार लेखा से प्राप्त हो जाती है। मगर गांव देहात एवं कस्बों में मेडिकल दवा विक्रेता की और डॉक्टर की सुविधा कम प्राप्त होती है| कुछ गांव देहात में डॉक्टर के सानिध्य में उपचार विधि प्रशिक्षण प्राप्त कर जनकल्याण उपचार सेवार्थ कार्य करते हैं जिसके माध्यम से छोटे-मोटे रोग उपचार कम करके गांव वासियों का उपचार से जन कल्याण काम करते हैं, ताकि गांव की उपचार सेवा करते हैं, इस संदर्भ हेतु अनुभव के आधार पर उपचार कार्य करने वाले को गांव के दबंग एवं रंगबाज दाऊ दादा इस कार्य पर प्रतिबंध लगाते हैं जबकि भारत सरकार ने जो कम पढ़े लिखे उपचार विधि को करने वाले को बहुत से उपचार विधि संस्थान प्रशिक्षण कार्य अनुभव देकर शिक्षा और अनुभव तौर पर डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्रदान कर गांव देहात कस्बों में ऐसे अनुभव शील को अनुभव शिलो को उपचार कार्य करने की अनुमति परिवार कल्याण आयुष मंत्रालय से अनुमति प्रदान की जाती है, ताकि गांव वासियों का उपचार विधि से जन कल्याण हो, गांव में उपचार सुविधा ना होने के कारण उपचार के अभाव में मृत्यु हो जाती है जबकि कोई डॉक्टर या बैध, नीम, हकीम, मानव प्राणी का जीवन रक्षक होता है, जबकि दुश्मन नहीं होता है, जीवन दाता और मृत्युदाता मनुष्य नहीं है, वह भगवान का बनाया हुआ इंसान है, जो एक दूसरे के माध्यम से जन का उपचार विधि कार्य करता है, डॉक्टर के और ईश्वर के कार्यों में जीवन रक्षक एवं मृत्यु के मध्य बीच की हवा है,  जैसे दीपक बुझा ना पाए दवा यानी जीवन ज्योति रक्षा करने का प्रयास करती है,  भगवान ही दोनों कर्मों का फल दाता है,  इसीलिए बड़े बड़े डॉक्टर सर्जिकल उपचार ओपरेशन करने के बाद स्वयं ईश्वर से प्रार्थना करते है कि हे इश्वर हमारे कार्य में यश दे, कहते है मैंने कार्य कर दिया है सफलता देना ईश्वर के हाथों में है आज समाज के अंदर विचार दूषित एवं मंथन हीन हो चुके है, कोई डॉक्टर मरीज का दुश्मन नहीं होता है, रामायण में रावण के नगरी का बैध सुषेण लक्ष्मण उपचार के वक्त कहते हैं, कि मैं लंका नरेश का वैध हूं मैं दुश्मन का उपचार नहीं करूंगा, जब सुग्रीव एवं श्री राम वाणी से प्रभावित होकर बैध के और धर्म कल्याण कार्य विधि का कहते है, ऐसे तमाम धर्म शास्त्रों में विधि कार्य करने हेतु किसी ने किसी की जान बचाई बचाई है तो किसी की जान चली गई है इसमें वैद्यकीय उपचार विधि में कमी नहीं इस दोनों में ईश्वर कृपा अनुमति महत्वपूर्ण है

 मैंने प्रथम विचार मंथन लेख में दर्शाया गया है, इसीलिए दवा और दुआओं में विश्वास करना हमारी ईश्वर के प्रति भक्ति कर्म ना होने का प्रमाण है, ईश्वर तो भक्तिवान का भी साथ देता है तो बिगर भक्तिवान का भी साथ देता है, छुड़ाने वाला भी वही है तो देने वाला भी है, इसीलिए मानव प्राणी को ईश्वर विधि व्यवस्था का उल्लंघन नहीं कर सकता है, कर्ता,भर्ता,हर्ता आदेश शक्ति दाता शिवंभु गुरु गोरखनाथ है, इनकी कृपा बगैर कोई भी प्राणी राजा,रंग,फ़क़ीर,कोई कार्य नहीं कर डाकता है, सब कुछ ईश्वर विधि प्राकृतिक आशर पर ऑटोमैटिक संचालित है| विज्ञानं और जितने भी उपकरण सचालित है वह सब ईश्वर पञ्च तत्वों से संचालित है, इसी प्रकार वनस्पति अकुआ कि जड़-मूल पत्ति द्वारा उपचार विधि वनस्पति पैहचान द्वारा बता रहा हु| इसके द्वारा रोग लक्षण के अनुरूप लाभ प्राप्त करें और स्वस्थ रहे| सबसे पहले अकुआ का दूध किसी भी प्रकार का कांटा या कांच लगने पर मास में छुपकर वहीं पर रह जाते हैं, निकलने में तकलीफ देता है, इसको चारोंऔर चमड़ी को सुई से खुरोचकर  उसमें दूध बराबर 4 वक्त भरे,

पके पत्तों को लाकर सूखे या गिले

उनको आग पर जला कर काले पूर्ण तरह से जलाकर उसे दूसरे बर्तन में रखकर ढक दें 15 पत्तों को क्रम बाय क्रम से जलाकर

ढक दें उसके बाद उन सभी पत्तों को बारीक पीसकर उसका भस्म बना दे,

भस्म को आधी चाय चम्मच लेकर शहद या गुड़ पुराने में गोली बनाकर गर्म कुमकुम पानी से चार वक्त खाएं

 इसके द्वारा लाभ सीने में कफ, खकार, बबलगम, कफ को गुदा द्वार से निकालता है

 यह खांसी के माध्यम से काफ निकालता है, इसी प्रकार कफ का बुखार सर्दी में आता हो उसको ठीक करता है

 टाइफाइड यानी बुद्धि बुखार को भी 1 सप्ताह तक शहद या गुड़ के साथ उपयोग करें लाभ होता है

स्वास रोग दमा/सीने का कफ निकाल कर खासी और स्वास रोग समाप्त कर फेफड़ों को मजबूती देता है

परेज-  बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गांजा, धूम्रपान प्रतिबंधित करना है

बीड़ी के स्थान पर अजवाइन और नीम पत्ती मिश्रित कर बीड़ी बनाकर की तंबाकू बीड़ी लत छूट जाती है|

                                                                                     प्रक्टिकल

                                                        बैधचार्य देवलाल

 

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